रेल संरक्षा आयोग, भारत सरकार के नागर विमानन मंत्रालय के प्रशासनिक नियंत्रण के तहत काम करता है, जो रेल यात्रा और रेलगाड़ी संचालन में संरक्षा से संबंधित मामलों को देखता है। आयोग को रेलवे अधिनियम (1989) और मेट्रो रेलवे (संचालन और रखरखाव) अधिनियम, 2002 में निर्धारित कुछ वैधानिक कार्यों का प्रभार सौंपा गया है। ये कार्य निरीक्षणात्मक, जांच और सलाहकार प्रकृति के हैं।
आयोग कुछ नियमों के अनुसार कार्य करता है, जैसे रेलवे अधिनियम के तहत दुर्घटनाओं की वैधानिक जांच के नियम और समय-समय पर जारी कार्यकारी निर्देश।
हमारा दृष्टिकोण
सार्वजनिक उपयोग के लिए रेल और मेट्रो परिवहन प्रणालियों में संरक्षा के उच्च मानकों को सक्षम करना और राष्ट्र के विकास में तकनीकी उत्कृष्टता के साथ रेल/मेट्रो नेटवर्क के विकास में योगदान देना।
हमारे विशेष कार्य
शून्य दुर्घटना सहनशीलता के लिए समीक्षा निरीक्षण के माध्यम से संरक्षा नियामक निकाय के रूप में मजबूत संरक्षा उपायों की वकालत करना ।
उच्च संरक्षा और गुणवत्ता मानकों पर ध्यान केंद्रित करते हुए शीघ्रता से वैधानिक निरीक्षण आयोजित करके रेल/मेट्रो परिवहन के सुरक्षित नेटवर्क विस्तार में योगदान देना ।
नये चल स्टॉक के गुणवत्ता निरीक्षण के माध्यम से गतिशीलता सुधार में योगदान देना ।
दुर्घटनाओं की स्वतंत्र जांच करना तथा पुनरावृत्ति से बचने के लिए संरक्षा में सुधार हेतु सिफारिशें करना।
ट्रैक पर दुर्घटना को रोकने के लिए पूछताछ करना , जांच करना और परिचालक को सलाह देना।